User talk:Dr shobha Bhardwaj
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ईरान की विदेश नीति को समझना आसान नहीं है (ईरान इजरायल टकराव )डॉ शोभा भारद्वाज
[edit]ईरान की विदेश नीति को समझना आसान नहीं है|(ईरान इजरायल टकराव ) डॉ शोभा भारद्वाज दमिश्क में ईरानी कंसुलेट ( वाणिज्य दूतावास )पर इजरायल के हमले में सात अधिकारियों की मृत्यू हो गयी | ईरान रिजीम सदैव बढ़ चढ़ कर बोलता था अत: उस पर दबाब था साख खतरे में थी इसलिए उसने ड्रोन एवं मिसाईल से इजरायल पर 185 ड्रोन एवं 150 क्रूज एवं बैलिस्टिक मिसाईलों से हमला किया कुछ मिसाईल पहले गिर गयीं इनका निशाना ऐसा ही है ईराक ईरान जंग में ईराकी फाईटर प्लेनों पर इनका निशाना मैने देखा है बाकी 99% ड्रोन एवं मिसाईलों को इजराईल के सुरक्षा बलों जीपीएस जैमिंग तकनीक का प्रयोग कर विफल कर दिए ईरान विश्व को बताना चाहता था उसने अपना बदला ले लिया अब वह इजरायल पर अटैक नहीं करेगा |इजरायल ने 19 अप्रैल को इमाम खामेनेई के जन्म दिन के अवसर पर ईरान के प्रसिद्ध शहर इस्फहान के परमाणु केंद्र के पास हमला कर जता दिया ईरान उनकी जद में हैं एक हमला ईराक में बगदाद के पास गावँ के एक मकान पर किया यहाँ मीटिंग चल रही थी | इस्फहान ईरान का बहुत खूबसूरत शहर है वहां कहा जाता है ,’इस्फहान निस्फे जहान ‘ है इस्लामिक गणराज्य ईरान अपने में एक पहेली है इस मुल्क को वही समझ सकते हैं जो लम्बे समय तक वहाँ रहें हैं जिनका जनता से सम्पर्क रहा है वहां के लोग कहते थे शाह के खिलाफ क्रान्ति में कहा जाता था ईरान में दौलत कुछ लोगों के हाथ में है यदि बांटा जाए हर बाशिंदे के हाथ में रोज पांच तुमान एवं 5 लीटर तेल आता है शाह के समय महंगाई न के बराबर थी हमें लगा बहुत है समझ नहीं आ रहा था देश कैसे चलेगा एक जनून था |वहाँ सत्ता पर मौलानाओ का पूरी तरह कब्जा है दीनी सियासत का कोई तोड़ नहीं है ईरानी क्रान्ति का उद्देश्य प्रजातांत्रिक व्यवस्था की स्थापना करना था ईरान का नाम अब जम्हूरिये इस्लामिय ईरान है बकायदा चुनाव होते हैं परिवार का एक आदमी सबका वोट दे आता है | उम्मीदवार मौलानाओं के गुट का होता है उन्हें मौड्रेट कह लीजिये या कट्टर पंथी निजाम का उद्देश्य मिडिल ईस्ट में शिया प्रभावित क्षेत्रों में अपना प्रभाव बढ़ाना विरोध होने पर विद्रोहियों की मदद करना , विश्व में शियाओं का परचम लहराना है |
उनके पास शियाईज्म के नाम पर शहादत देने के लिए पासदाराने इंकलाब ( ईरान में क्रान्ति दूतों का समूह ) शहादत के लिए तैयार रहते थे स्वर्गीय आयतुल्ला इमाम खुमैनी के समय नारा था “इमामे माँ इमामे माँ रूहे खुदाई फरमान बिदे फरमान बिदे “( हमारे इमाम खुदा की रूह है बीएस फरमान दीजिये ) इनका इंचार्ज स्वर्गीय जनरल सुलेमानी ईरानी गुप्त अभियानों के संचालक थे मक्का में एक अलग गेट की मांग भी ईरान द्वारा की गयी | इस्लामिक सरकार की विदेश नीति अपने देश के हितों का ध्यान रखती है मौका देख का नीति बदलती रहती है ईरान ईराक युद्ध के समय नारे लगते थे जंग -जंग ता फिरोजी ( जंग तब तक चलेगी जब तक जीत हासिल नहीं होती )लेकिन जब स्वर्गीय आयतुल्ला इमाम खुमैनी ने देखा जीतना आसान नहीं है उन्होंने सुलह की पेशकश कर जंग रोक दी ईरान टीवी में अपने संदेश में उन्होंने कहा जंग रोकना ‘जहर मार खोर्दम’( विष पान करने जैसा है)
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अमेरिका को शेताने बुजुर्ग कहते है मर्ग बा इजरायल नारा है इजरायल शैतान हैं उसे समाप्त कर मस्जिद अक्सा पर अधिकार करना है |जुम्मे नमाज के भाषणों में वहां के लोगों को स्वप्न दिखाया जाता है एक दिन वह दुनिया को इस्लाम कर देंगे बेचारे क्रान्ति दूत नहीं जानते थे विश्व की कितनी जनसंख्या है | इस्लाम में अल्लाह ,पवित्र कुरआन और पैगम्बर मुहम्मद (सुन्नी मान्यता ) शियाइज्म में भी 1. अल्लाह , 2. पवित्र कुरआन , 3. पैगम्बर मुहम्मद , लेकिन इमाम का अपमा महत्व है वह इमाम अली के पैरोकार हैं |
ईरान में देश से जुड़े सभी राजनीतिक मसलों पर अंतिम फैसला आज के इमाम अली खामेनेई का हैं | वह सशस्त्र सेनाओं के सुप्रीम कमांडर ,सुरक्षा वल उनके नियन्त्रण में हैं ,विदेश नीति ,अर्थ व्यवस्था , पर्यावरण ,शिक्षा एवं राष्ट्रीय योजना पर उनका निर्णय अंतिम है | दूसरा पद राष्ट्रपति का हैं | वहां के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी कट्टर पंथी हैं अपने आपको वह कट्टर शिया एवं मजहब का रखवाला बताते हैं | मौलानाओं ने अपनी सत्ता मजबूत करने के लिए राजनीतिक बंदियों को गिरफ्तार कर उन्हें मृत्यू दंड दिया जाता था एक कैदी एक गोली रईसी खुफिया डेथ कमेटी के अहम सदस्य थे | आगा रईसी पहले रराष्ट्रपति हैं जिन पर पद भार सम्भालने से पहले अमेरिकन प्रतिबन्ध लग चुका था |इन्हीं के कार्यकाल में हिजाब न पहनने पर महाशा अमीनी को गिरफ्तार किया गया जेल में उसकी मृत्यू हो गयी पूरा ईरान हिजाब के विरोध में खड़ा हो गया लेकिन धीरे – धीरे सख्ती से आक्रोश को दबा दिया गया |
वह मानते हैं इराक द्वारा तेहरान पर चलाई जाने वाली कोरियन मिसाईल की दहशत ईरान की हार का कारण था |ईरान किसी भी कीमत पर परमाणु शक्ति सम्पन्न देश बनना चाहता है तभी फिरोजी(जीत ) हासिल होगी पूरे जोर शोर से वह परमाणु शक्ति बनने के करीब है | इजरायल एवं अरबी देश नहीं चाहते वह परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की श्रेणी में आ जाये |मौलानाओं का मुस्कराता चेहरा मीठी जुबान झुक – झुक कर मी बक्षी ( माफ़ कीजिएगा ) खस्ता न बाशी ( आराम से काम करो थको नहीं )दिल जीत लेता है लेकिन आँख बदलने में उनका जबाब नहीं है उन्हें प्रभावित करना आसान नहीं है उनका उद्देश्य है’ अपना देश पहले , स्वदेशी ‘निर्माण उनका उदेश्य है वह विदेशियों को तभी तक सहते हैं जब तक उनकी मजबूरी है| मौलाना फूक – फूक कर कदम रखते हैं चीन से सम्बन्ध बनाते है लेकिन चीन को अल्पकालीन लाभ जरुर हो सकता है दीर्घकालीन नहीं जिस दिन समझ आयेगा चीन से फायदा नहीं है तेहरान एवं बड़े -बड़े शहरों में विशाल जलूस निकलेंगे चीन के विरोध में नारे लगेंगे मर्गबा शैतान चायना ( चीन मुर्दाबाद )
जिस दिन ईरान परमाणु शक्ति अपने हिसाब से अर्जित कर लेगा उसके पास बैलिस्टिक मिसाईल होगी जिनका निर्माण स्वयं करेंगे मानेगा इस्लामिक जगत में उनका झंडा बुलंद होगा | आय के स्तोत्र की कमी नहीं है पेट्रोल प्रोड्यूसिंग देश है हथियारों की खरीद करते रहते हैं विद्रोहियों की आर्थिक सहायता भी देते हैं महंगाई बढती जा रही हैं अपने लोगों को कम में जीना सिखा दिया |
विशेषज्ञ आज के हालात को विश्व युद्ध का खतरा मानते हैं लेकिन मौलाना जब तक परमाणु शस्त्रों से पूरी तरह लैस नहीं हो जाते तब तक ऐसे ही वार करते रहेंगे वह जानते हैं लम्बा युद्ध उनके लिए मुश्किल है छद्म युद्ध आसान है | इजरायल भी अभी गाजा पट्टी ,हुती और हिज्बुल्लाओं से लड़ाई में व्यस्त है अपने लोगों का उस पर अपने गिरफ्तार किये गये लोगों को आजाद कराने का दबाब है | स्तोत्र - कई वर्ष ईरान में रही हूँ ,ईरान की विदेश नीति के प्रमुख स्तोत्र जुम्मे नमाज में दिए गये इमाम अली खमैनई के भाषण , हस्ताक्षर -डॉ शोभा भारद्वाज Dr shobha Bhardwaj (talk) 19:24, 6 May 2024 (UTC)
हिन्दू विवाह पाणिग्रहण संस्कार है , तलाक फिर भी होते हैं , डॉ शोभा भारद्वाज
[edit]हिन्दू विवाह पाणिग्रहण संस्कार हैं तलाक फिर भी होते है | डॉ शोभा भारद्वाज भारतीय संस्कृति के अनुसार स्त्री पुरुष के सम्बंध पूरकता ,सहयोग की भावना पर आधारित माने जाते हैं अत: जीवन साथी एक दूसरे के प्रतिद्वंदी नहीं है दाम्पत्य जीवन में अर्द्धनारीश्वर शब्द की कल्पना हमारी संस्कृति की देन है ऐसा उदाहरण किसी संस्कृति में नहीं मिलता| प्राचीन काल में स्त्रियों की गरिमा और स्वतन्त्रता का पूरा सम्मान किया जाता था |विवाह में पाणिग्रहण संस्कार के समय पति-पत्नी का हाथ पकड़ कर कहता था मेरे घर की साम्राज्ञी बनो |
जबकि नारी की समानता की भावना पश्चिम की देंन है | हमारी संस्कृति में नारी को पुरुष से श्रेष्ठ मानते हैं माँ हमारे यहाँ सबसे ऊचें सिहांसन के योग्य है वह जन्म दात्री ही नहीं पालक भी है और पत्नी सहचरी अर्द्धांग्नि है यज्ञ में वह पति के साथ आहुति देती है पति पत्नी और सन्तान से पति पत्नी सम्पूर्ण होते हैं |
हिन्दू विवाह को पाणिग्रहण संस्कार के नाम से जाना जाता है। अन्य धर्मों में विवाह पति और पत्नी के बीच एक प्रकार का करार ( समझोता )होता है जिसे विशेष परिस्थितियों में तोड़ा भी जा सकता है परंतु हिंदू विवाह पति और पत्नी के बीच जन्म-जन्मांतरों का सम्बंध माना जाता था जिसे किसी भी परिस्थिति में तोड़ा नहीं जा सकता। अक्सर महिलाएं करवाचौथ के व्रत के समय अपने पति को सात जन्मों के लिए मांगती हैं | प्राचीन शास्त्रीय हिंदू कानून के अनुसार हिंदू विवाह में तलाक जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी, तलाक शब्द मुस्लिम कानून में है तथा रोमन कानून में डायवोर्स शब्द है हिंदुओं में विवाह एक पवित्र संस्कार है जो अग्नि के चारो और सात फेरे लगाकर सात बचनों से बंधा होता है।
विवाह एक प्रेममय गृहस्थ जीवन के लिए है परंतु यदि यह विवाह जीवन में कलेश का कारण बन जाये दोनों के भीतर नफरत की आग जलने लगे तो ऐसी परिस्थिति में विवाह के संबंध को रखना मुश्किल हो जाता है जब एक दूसरे के साथ जीना मुश्किल हो जाए अलग होना उचित है |कहते हैं पति पत्नी का जोड़ा स्वर्ग में बनता है जरूरी नहीं है कुछ नरक में भी बनते हैं जब भी शादी केवल अभिप्राय या लाभ की दृष्टि से की जाती है एक पक्ष आँख मूंद लेता है अभिप्राय पूरा न होने पर विवाह सम्बंध में दरार आ जाती है |
विवाह विज्ञापन – केवल फेरों के दोषी , शादी कुछ ही दिन चली , इनोसेंट डायवर्ससी ,निसंतान तलाक शुदा समझ लें शादी कुछ साल चली थी अलग हो गये |फेस बुक में दोस्ती हुई प्यार करने लगे शादी हुई पर अलग हो गये बचपन के दोस्त थे लगता था एक दूसरे के बिना जी नहीं सकेंगे एक दूसरे के प्रेम की कसमें खाते थे वही कोर्ट में एक दूसरे पर अभियोग लगाते हैं | समय बीतने के साथ इतनी कड़वाहट कैसे हुई ? परिवार से लड़ कर विवाह किया एक छत के नीचे जब रहे समझ में आया हम दोस्त ही अच्छे थे म्यूचुअल डायवर्स हो गया लेकिन अब भी हम दोस्त हैं| एक हजार विवाहों में म्यूचुअल तलाक 868 तक पहुंच गये हैं|
आजकल वकील बिना किसी आक्षेप लगाये दोनों की सहमती से तलाक करवा देने की गारंटी देते है | वकील समझाते है तलाक चाहते हो कोर्ट के चक्कर लगाते – लगाते थक जाओगे यदि जल्दी छुटकारा चाहिए म्यूचुअल तलाक हो जायेगा| दहेज वापिस, शादी का सारा खर्चा दिलवा दूंगा यदि लड़की नौकरी पेशा नहीं है लड़के की हैसियत के मुताबिक एक साथ तय रकम दिलवा दूंगा मांग बड़ी होती है मोल भाव हो जाता है वकील साहब को अच्छा कमिशन मिल जाता है जिन्हें पुन: विवाह करना है वह म्युचुअल डायवर्स चाहते हैं लेकिन जरूरी नहीं फिर से पुनर्विवाह हो जाए सफलता की गारंटी भी नहीं है |
पहले सम्बंध टूटना आसान नहीं था कोर्ट में लड़ते – लड़ते दोनों पक्ष थक जाते थे बीच बचाव से फैसला भी हो जाता था कोर्ट की दहलीज से लौट कर टूटता घर फिर से बस गया ऐसे कई जोड़े आज बाल बच्चे दार अच्छे गृहस्थ हैं |अच्छा जीवन बिता रहे हैं |
धूमधाम से विवाह बड़े – बड़े पंडाल डिजाईनर शादियाँ होती हैं| अरेंज मेरिज में भी माता पिता की कोशिश रहती है विवाह से पहले एक दूसरे को जान लें भावी जोड़े घंटो बातें करते है मिलना जुलना बातों का सिलसिला बढ़ता जाता है एक दूसरे के सामने दिल खोल कर रख देते हैं लड़के अपने कितने ब्रेक हुए कितनी बार दिल टूटा यह भी नहीं छुपाते लड़कियां भी कम नहीं है | ऐसा लगता है एक दूसरे के बिना जी नहीं सकेंगे शुद्ध मन से पिछला सब भूल कर एक दूसरे से सम्बंध जोड़ना चाहते है विवाह की खरीददारी भी मिल कर करते हैं हनीमून डेस्टिनेशन कौन सा सही रहेगा ?हैरानी होती है एक दूसरे से दिल खोला था अब उन्हीं विषयों को कोर्ट में उछाल कर आरोप लगाये जाते हैं | जिनकी हैसियत नहीं थी वह भी शादी को यादगार बनाना चाहते थे मनमुटाव होने पर दोनों पक्ष कोर्ट में खड़े होकर ऐसे लड़ते है जैसे दो दुश्मन | छोटी – छोटी बातों पर तलाक जिन्हें मिल बैठ कर सुलझाया जा सकता है |
‘दिल्ली’ भारत की राजधानी है ‘मुम्बई’- भारत के अधिकांश बैंक , बिजनेस हाउस ,प्रमुख कार्यालय, कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, बम्बई स्टॉक एक्स्चेंज, नेशनल स्टॉक एक्स्चेंज एवं अनेक भारतीय कम्पनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुम्बई में स्थित है भारत की सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री, जिसे बॉलीवुड कहा जाता है यहीं है इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं। दोनों महानगरों में लगभग 40% शादियाँ तलाक पर खत्म होती है|
दिल्ली तलाकों की नगरी कहलाने लगी है 11 जुलाई 2022 के बाद होने वाले विवाहों में 50 % से 60 % तक तलाक में बढ़त हो गयी है |
बैगलौर में अनेक मल्टीनेशन कम्पनियों के दफ्तर है एवं ज्यादा शिक्षित राज्य केरल में तलाक के मामले बढ़ रहे हैं आश्चर्य पंजाब व हरियाणा में भी तलाक के मामले देखे जा रहे हैं। तलाक का दोष शिक्षित कामकाजी महिलों पर मढ़ दिया जाता है |टकराव का कारण मुख्यतया धैर्य की कमी और ईगो है दोनों टूट सकते हैं लेकिन एक भी झुकने को तैयार नहीं होता | महिलाओं की सोच बदली है अपने अधिकारों के प्रति वे जागरूक हुई हैं और अब अपनी गरिमा से वे घटिया समझौता नहीं करना चाहतीं। ऐसे विच्छेद देखे हैं अधिक से अधिक वर पक्ष को लूटने की कोशिश की जाती है कुछ लडकियाँ दांत पीस कर कहती सुनी हैं ऐसी बला सिर पर लाऊँगी बर्बाद कर दूंगी | जरूरी नहीं है वर पक्ष का दोष हो |
तलाक के अनेक कारण हैं कभी पति पत्नी के मनमुटाव का कारण परिवार के लोग होते है कभी आपसी सम्बन्धों में तकरार फिर खटास परिवार टूटने का कारण बन जाता है दहेज ,एवं शादी के बाद वर पक्ष की और से निरंतर मांग बढ़ती जा रही है पत्नी को इतना प्रताड़ित किया जा रहा है रहना मुश्किल हो जाता है कभी पत्नी के होते हुए भी दूसरी स्त्री से सम्बंध बना लेना घर टूटने का कारण बन जाता है ऐसे आक्षेप पत्नी पर भी लगाये जाते हैं |
परिवारों में आये दिन झगड़े बढ़ रहे हैं यदि मर्द क्रोधी है तो महिलाएं भी कम नहीं हैं रोज की तू तू मैं मैं झगड़े इतने बढ़ गये हैं नौबत तलाक तक आ गयी है तलाक के कारण भी जरा जरा से हैं ईगो इतनी टकराती है अंत में घर टूटता है दोनों कहते है अब साथ रहना मुश्किल था 16 वर्ष की शादी थी बच्चे भी है लेकिन तलाक बच्चों का क्या होगा ?कभी बच्चों के लिए खींच तान कोई नहीं सोचता सिंगल पेरेंट,बच्चे की परवरिश कितनी मुश्किल है | महिलाओं के हित में दहेज संबंधी कानून उनकी सुरक्षा एवं सुसराल की मांगों और प्रताड़ना से बचाने के लिए बनाये गये थे झगड़े का विषय कुछ भी हो उसे दहेज प्रताड़ना से जोड़ दिया जाता है और अधिकतर मामले झूठे पाए गये हैं|
जो महिलाएं वास्तव में प्रताड़ित की गयीं हैं मर गयीं उनमें अपनी आवाज उठाने की न हिम्मत थी न मार्ग दर्शक लेकिन दबंग महिलाओं ने इस अधिकार का भरपूर लाभ उठाने की कोशिश की धमकती हैं ऐसी बला सिर पर लाऊँगी जेल में पूरा परिवार जीवन भर चक्की पीसते नजर आओगे | कानून के दुरूपयोग पर सुप्रीम कोर्ट भी चिंता जता चुका है |अब पुरुष भी आगे आकर अपनी बात रख रहे हैं| हर मिया बीबी के झगड़े में समाज की सहानुभूति महिला के साथ होती है पति को शक की नजर से देखा जाता है |
आज भी ग्रामीण परिवेश में तलाक कम देखे जाते हैं विवाह संस्कार के बाद वर एवं वधू दोनों पक्षों के लोग सामने आते हैं वर पक्ष बचन देते हैं अपनी हैसियत के अनुसार आपकी बेटी को किसी प्रकार का कष्ट हमारे यहाँ नहीं होगा | यदि सुसराल में बेटी दुखी है दोनों पक्षों की पंचायत बैठती है आपस में समझौता कराने की कोशिश की जाती है फिर भी यदि समझौत न हो तब तलाक की नौबत आती है |
हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के अन्तर्गत स्त्री या पुरूष दोनों ही तलाक के लिए न्यायालय में आवेदन कर सकते हैं। यह अधिनियम हिन्दुओं, सिक्खों, बौद्ध धर्म मानने वाले एवं उन सब व्यक्तियों पर लागू होता है जोकि मुस्लिम, पारसी, ईसाई या यहूदी नहीं हैं । इस अधिनियम की धारा 13 के अन्तर्गत कई आधार हैं जिनके आधार पर विवाह का कोई भी पक्षकार पति या पत्नी इस अधिनियम के अंतर्गत होने वाले किसी वैध विवाह को विच्छेद करने हेतु (तलाक हेतु) न्यायालय के समक्ष आवेदन कर सकता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ भी भारत में बढ़ते तलाक के मामलों पर चिंता जता चुका है इसलिए सिंगल माताओं की तादात बढ़ रही है |न्यायालय देश में बढ़ते मामलों पर चिंता प्रगट कर चुका है | नई पीढ़ी शादी के बंधन में बंधने के बजाय लिव इन रिलेशन में रहना पसंद करते हैं यहाँ भी यदि अलग होना चाहते हैं फिर से विवाह करना चाहते है बिना बताये वह पहले किसी से सम्बन्धित थे विवाह करने की स्थिति में विवाह स्थल पर झगड़ा शुरू हो जाता है यदि एक पक्ष क्लेम करे इसने मुझे वचन दिया था विवाह करूंगा शोषण किया शारीरिक सम्बन्ध बनाये बलात्कार के इल्जाम लगाये जाते हैं ऐसे में मामला न्यायालय में जाता है |
जरूरी नहीं है महिलाओं पर जुल्म होते हैं पुरुष भी शोषण के शिकार हते हैं महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाये कानूनों का फायदा उठा कर उन पर अनेक दोष लगाये जाते हैं समाज में धारणा है महिला ही शोषित है पुलिस भी महिला की बात का मानी जाती है अब कई संस्थाएं बन गयीं वह पुरुषों को न्याय दिलवाने का प्रयत्न कर रही हैं |आजकल का ट्रेंड देख कर लड़के शादी नामक पवित्र बंधन से बंधने से डरने लगे हैं |
हिन्दू समाज की मान्यता थी विवाह सात जन्मों का प्यारा बंधन है अब तो शुरू से झगड़े शुरू हो जाते हैं नौबत तलाक पर आती है | सामाजिक संस्थाए कोशिश क्र रही है विवाह एक आदर्श बंधन बने उन समस्त कारणों को को पहले ही दूर कर विवाह किया जाए जैसे विवाह से पहले झूठ बाद में झगड़े की जड़ बनते हैं | दहेज लेना या देना अपराध है वधू को जो भी उपहार दिए जाएँ उनका लिखित ब्योरा होना चाहिए तभी विवाह का सर्टिफिकेट दिया जाये | झगड़े सुलझाने के लिए वर वधू पक्ष में संवाद होना चाहिए |कुछ लोगों के अनुसार पति पत्नी के बीच झगड़े की वजह माँ होती है मो होती है चाहे पत्नी की माँ या पती की माँ दोनों को समझदारी से चलना चाहिए घर तोड़ने के बजाय घर जोड़ने की कोशिश करना उचित है |
सन्दर्भ -समाज में बढ़ते तलाक की विवेचना के बाद लेख लिखा है | (हस्ताक्षर - डॉ शोभा भारद्वाज Dr shobha Bhardwaj (talk) 20:17, 26 May 2024 (UTC)